राष्ट्रीय
विश्वामित्र दाधीच के उपन्यास “वेदवती”पर परिचर्चा का आयोजन

12 मार्च 2023 रविवार को नाग नागिन मंदिर के पास दाधीच छात्रावास कोटा में साहित्य सम्मान समारोह एवं विश्वामित्र दाधीच जी के उपन्यास “वेदवती ” पर परिचर्चा का आयोजन रखा गया!
कार्यक्रम का शुभारंभ मंचस्थ अतिथियों ने माँ शारदे के पूजन अर्चन से किया, माँ सरस्वती की वंदना प्रसिद्ध गीतकार बद्री लाल दिव्य ने “हंस वाहिनी माँ भारती की भारती , इस अज्ञानी को ज्ञान की पतवार दे ” ने की, समिति के पदाधिकारियों द्वारा मंचस्थ अतिथियों का पुष्प माला से स्वागत अभिनन्दन किया गया !
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री रामनिवास ( पूर्व आईएएस ) अध्यक्षता अम्बिका दत्त चतुर्वेदी ( पूर्व आर ए एस), विशिष्ट अतिथि श्री जितेन्द्र निर्मोही ( वरिष्ठ साहित्यकार, उपन्यासकार समीक्षक) , विशिष्ट अतिथि प्रदीप दाधीच (दाधीच समाज के अध्यक्ष) थे !
स्वागत उद्वबोधन में आयोजन समिति के संयोजक विश्वामित्र दाधीच ने कहा कि, मैंने अपने पूर्वजों की स्मृतियों को संजोये रखने के लिए साहित्य के क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान देने वाले साहित्यकारों का सम्मान करने का विचार किया है!
अध्यक्षता कर रहे अम्बिका दत्त चतुर्वेदी ( पूर्व आर ए एस) ने कहा कि ” विश्वामित्र दाधीच हमारे आधुनिक काल के लोककवि है, लोकरंजन के जीवन को कविता में पिरोने वाले कवि हैं विश्वामित्र दाधीच, लेखक वह होता है जो जीवन के लेखक होतें है, डॉ ज्योति पुंज की कविता में वागड़ का लोकजीवन देखने को मिलता है, कवि वही महत्वपूर्ण होता है, जिसके साहित्य में समय और काल देखने में मिलता है, ” डॉ नन्द किशोर महावर ने युवा रचनाकार किशन प्रणय का परिचय देते हुए कहा कि ” किशन प्रणय के लेखन में प्रतिमानों का समावेश देखने को मिलता है, आपका छन्द विधान अलग तरीके का है, ” विशिष्ट अतिथि हिन्दी व राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार एवं समीक्षक जितेन्द्र निर्मोही ने कहा कि ” डॉ ज्योति पुंज को राजस्थानी भाषा साहित्य का राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर का सर्वोच्च सम्मान सूर्य मल मिसण व केन्द्रीय अकादमी नई दिल्ली का सर्वोच्च सम्मान मिल चुका है। उनको हिन्दी साहित्य का सर्वोच्च सम्मान मीरां पुरस्कार के रूप में साहित्य अकादमी उदयपुर से मिल चुका है, यह मैवाड़ में राजस्थानी भाषा की ज्योति जलाने वाले है, भारतीय दर्शन आपके लेखन में देखने को मिलता है!
इस समारोह में राजस्थानी व हिन्दी साहित्य के साहित्य पुरोधा डॉ ज्योति पुंज उदयपुर को राजवैद्य स्वं शिवशंकर विस्मृत व युवा साहित्यकार किशन प्रणय को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वं देवी शंकर दाधीच की स्मृति में साहित्य साधना के लिए शाल श्रीफल नकद राशि प्रदान कर सम्मानित किया गया, डॉ ज्योति पुंज को राजस्थानी भाषा साहित्य का राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर का सर्वोच्च सम्मान सूर्य मल मिसण व केन्द्रीय अकादमी नई दिल्ली का सर्वोच्च सम्मान मिल चुका है। उनको हिन्दी साहित्य का सर्वोच्च सम्मान मीरां पुरस्कार के रूप में साहित्य अकादमी उदयपुर से मिल चुका है, आपने इस अवसर पर कहा कि ” मेरे लेखन का शुभारंभ कोटा में ही हुआ, मुझे प्रेम जी प्रेम ने ही राजस्थानी भाषा में लिखने के लिए प्रेरित किया, युवा कवि किशन प्रणय ने कहा कि ” साहित्य की मेरी पहली प्रेरणा परिवार ही रहा, युवाओं की जो भागीदारी साहित्य में होनी चाहिए वह नजर नहीं आ रही है, मंच की ओर ज्यादा आर्कषण है, पाठक कम देखने को मिलता है!
युवा व्यग्यंकार नहुष व्यास ने बताया कि दूसरे सत्र में प्रख्यात कवि एवं गीतकार श्री विश्वामित्र दाधीच द्वारा रचित ” वेदवती” उपन्यास पर वक्तव्य भारतीय वांग्मय के अधिकृत वक्ता प्रोफेसर के बी भारतीय ने कहा कि ” वर्तमान सन्दर्भो में वेदवती के सन्दर्भ खरे उतरते हैं, वेदवती उपन्यास श्री विश्वामित्र दाधीच की महत्वपूर्ण कृति है, वेदवती ने राजा के प्रस्ताव को ठुकरा कर महर्षि दधीचि को स्वीकार किया है, आज के युवाओं को कच्छ के जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है, व वक्ता डॉ मनिषा शर्मा ने कहा कि ” साहित्य का उद्देश्य लोककल्याण माना गया है, यह स्वागत योग्य रचना है, पौराणिक व्याख्यानों के अनुसार महर्षि दधीचि की पत्नी वेदवती के व्यक्तित्व पर लिखा है, सांसारिक मोहमाया से दूर आश्रम जीवन में भी सन्तुष्ट रहतीं है, आपका जीवन प्रेरणा स्पर्ध है, लेखक दाधीच ने वेदवती के महान व्यक्तित्व को बखूबी निभाया है!
हिन्दी व राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार एवं समीक्षक जितेन्द्र निर्मोही ने कहा कि ” आपकी भाषा सराहनीय है, इस समय में जब लघु कथा अपनी ओर आकर्षित करती हैं, उस समय में मात्र सत्रह पन्ने का उपन्यास इसका नारी प्रधान होना अलग ही पक्ष है, वरिष्ठ साहित्यकार विजय जोशी ने कहा कि यह हाड़ौती अंचल का पहला उपन्यास है, जो पौराणिक पात्र को लेकर लिखा गया है ”
इस अवसर पर आयोजन में कोटा महानगर के साहित्यकारों में नहुष व्यास, भगवती प्रसाद गौतम, किशन वर्मा, हेम सिंह हेम, राम शर्मा, दिलीप सिंह हरप्रीत, हेमंत पंकज , सत्य प्रकाश दाधीच , शिव स्वरूप जोशी, अश्व थामा दाधीच, वेदप्रकाश वेद, नरेश रिषी एवं महिला रचनाकारों में कृष्णा कमसिन, श्यामा शर्मा, ममता महक भी उपस्थित थी!
आयोजन का संचालन प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं समीक्षक विजय जोशी ने किया !